राष्ट्रपति भवन के ‘दरबार’ और ‘अशोक’ हॉल के नाम को बदला, अब इन नए नामों से होगी पहचान Breaking News

Breaking News: राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) की ओर से गुरुवार को जारी एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार राष्ट्रपति भवन, राष्ट्रपति का कार्यालय और आवास, राष्ट्र का प्रतीक है और लोगों की अमूल्य विरासत है. इसे लोगों के लिए और अधिक सुलभ बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं.

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए आर्टिकल में हाल ही में राष्ट्रपति भवन के दरबार और अशोक हॉल के नाम बदल ले गए हैं अब इन्हें कुछ नए नाम से पहचान मिलने वाली है जिसकी जानकारी आज हम आपको इस लाइक की सहायता से बताने वाले हैं राष्ट्रपति भवन की ओर से गुरुवार को एक आधिकारिक नोटिस जारी किया है जिसके तहत प्रेस में बताया गया है कि राष्ट्रपति का कार्य एवं आवास राष्ट्र का प्रतीक अब अमूल्य विरासत हो चुकी है।

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सरकार की ओर से इसे अधिक सुलभ बनाने के लिए कई निरंतर प्रयास किया जा रहे हैं। राष्ट्रपति भवन की ओर से गुरुवार को एक आधिकारिक प्रेस काउंसलिंग निर्धारित करी गई थी जिसके तहत राष्ट्रपति भवन, राष्ट्रपति का कार्यालय और आवास, राष्ट्र का प्रतीक है इतना ही नहीं यह आम नागरिकों के लिए अमूल विरासत है लोगों को सभी लाभ और सुविधा उपलब्ध हो सके इसलिए राष्ट्रपति भवन के माहौल को भारतीय संस्कृति के आधार पर विकास किया जा रहा है .

अब इन नए नामों से होगी पहचान

जानकारी के लिए बता दे कि राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू राष्ट्रपति भवन के प्रमुख हॉलों का नाम बदलकर ‘दरबार हॉल’ और ‘अशोक हॉल’ का नाम बदलकर क्रमशः ‘गणतंत्र मंडप’ और ‘अशोक मंडप’ रखने का प्रस्ताव पारित किया गया है .

राष्ट्रपति भवन के ‘दरबार’ और ‘अशोक’ हॉल के नाम को बदला

प्रेस कॉन्फ्रेंस में इससे संबंधित अधिक जानकारी बताते हुए राष्ट्रीय पुरस्कारों की प्रस्तुति और कई प्रकार के उत्सव के लिए यह एक पर्याप्त स्थल है और दरबार शब्द का अर्थ भारतीय शासको और अंग्रेजों के दरबार और स्वभाव से है भारत के गणतंत्र बनने में सहायता यानी गणतंत्र समाज को विशेष रूप से गहराई से पहचाना जा रहा है और गणतंत्र मंडप इस स्थल के लिए सर्वश्रेष्ठ नाम निर्धारित किया गया है.

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और इसके अलावा दूसरे नाम की प्रस्तुति देते हुए बताया गया है कि इसका अर्थ जो की दुखों से मुक्त हो जाता है और किसी प्रकार की समस्या को संदर्भित नहीं करता शांतिपूर्ण प्रतीक के साथ अशोक काशी शीर्ष से माना जाता है और अशोक वृक्ष को संबोधित करने के लिए इस हाल का नाम बदला जा रहा है .

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