जाने क्या है Angel Tax: जिसे सीतारमण ने किया खारिज, कांग्रेस सरकार ने की थी शिफारिश…

Angel Tax: नमस्कार साथियों स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए आर्टिकल में, हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से मंगलवार के दिन बजट 2024 में एंजल टैक्स को खत्म करने का ऐलान कर दिया है, यदि आपको इसकी जानकारी नहीं है तो बता दे कि इस टैक्स को वर्ष 2012 में केंद्र कि मनमोहन सरकार के द्वारा पेश किया गया था और इसके अंतर्गत एंजल टैक्स खत्म करने के पश्चात स्टार्टअप आसानी से फंड जमा कर सकते हैं और यहां पर नए रोजगारों को उजागर किया जाएगा .

Angel Tax
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पूर्ण रूप से हुआ समाप्त

इसके अतिरिक्त पूर्ण रूप से सरकार ने बजट में एंजल टैक्स को समाप्त अब इसका प्रचलन नहीं मिलेगा साथ ही इसके माध्यम से स्टार्टअप को बड़ी राहत मिलने वाली है और सरकार के द्वारा इस वर्ष 2012 में जारी किया गया था इससे स्टार्टअप को शुरुआत और वृद्धि तक पहुंचने में कई प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ता था इसी बात पर चर्चा करते हुए इनोवेशन पर अधिक खर्च करने के साथ एंजेल टैक्स को पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया है।

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आप सभी की जानकारी हेतु बता दे की कोई भी स्टार्टअप बाहर से निवेश प्राप्त करता है तो उसे निवेश को आय का प्रकार मानते हुए 30% तक का टैक्स लगाया जाता है जिसे एंजेल टैक्स कहते हैं। इसके अलावा उदाहरण से समझिए से अधिकतम वैल्यू से जितनी अधिक राशि स्टार्टअप किसी इंजन निवेदक से लगती है तो 50% से अधिक टैक्स वसूला जाता है, साथ ही उदाहरण से जानेंगे तो यदि किसी स्टार्टअप के फेयर वैल्यू की कीमत लगभग 1 करोड़ है तो वह 1.5 निवेशकों से लुटाता है। इस प्रकार 50 लख रुपए का एंजल टैक्स लगता है।

किस सरकार की थी पहल

इस टैक्स के समाप्त हो जाने के बाद से काफी सारे फायदे होने वाले हैं जहां पर वर्ष 2012 में टैक्स लगाते समय सरकार की ओर से सोचा गया था कि बाहरी निवेश की और से मनी लॉन्ड्रिंग की सुविधा की जा सकती है और एंजल टैक्स को समाप्त करने के लिए स्टार्टअप को फंड जमा करना अब आसान हो चुका है। इसके अलावा नए स्टार्टअप को फंड जुटाना में कठिन नहीं होती थी लेकिन अब यहां पर सहायता की जाएगी और रोजगार में भी बढ़ोतरी होने वाली है विदेशी फंड जुटाना वाले सभी निवेशकों को शक की नजर से देखा जाता था।

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कर सरलीकरण प्रक्रिया की पहल

निर्मला सीतारमण की ओर से संस्थाओं एवं टीडीएस के अतिरिक्त सैलरी कारण प्रोसेस को पूर्ण करते हुए बताया है कि अनेक भुगतान एवं 5% टीडीएस दर को काटकर 2% टीडीएस दर किया जा रहा है और ई-कॉमर्स ऑपरेटर टीडीएस को न्यूनतम करके 0.1 प्रस्ताव पारित किया गया है। टीडीएस की राशि बड़े कर्ज दाताओं के लिए सेवाओं और सीमा शुल्क का आधार नियोजित करता है एवं डिजिटल रूप में इसे लाने के लिए सेवाओं को आयकर विभाग की ओर से आगामी 2 वर्षों के दौरान डिजिटाइजेशन किया जाने वाला है और पूर्ण रूप से पेपरलेस कर दिया जाएगा।

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